मुंशी प्रेमचंद भारत के एक ऐसे लेखक है जिनकी कहानियां प्रत्येक छात्र ने कभी न कभी जरुर पढ़ी है . मुंशी प्रेमचंद की कहानियां उर्दू और हिंदी भाषा में समान रूप से मिलती हैं .
आईए जानते हैं भारत के सबसे प्रसिद्ध लेखक मुंशी प्रेमचंद के विचारों के बारे में .
1 – ” जब हम कोई कार्य करने की इच्छा करते हैं तो शक्ति अपने आप आ जाती है .”
मुंशी प्रेमचंद.
2- ” खाते और सोते रहने का नाम जीवन नहीं है , जीवन नाम है – आगे बढ़ते रहने की लगन का .”
मुंशी प्रेमचंद.
3 – ” यदि झूठ बोलने से किसी की जान बचती है तो, झूठ पाप नही पुण्य है . “
मुंशी प्रेमचंद.
4 – ” आलस्य वह रोग है जिसका रोगी कभी ठीक नही होता . “
मुंशी प्रेमचंद.
5 – ” सौभाग्य उन्हीं को प्राप्त होता है, जो अपने कर्तव्य के रास्ते पर डटे रहते हैं .”
मुंशी प्रेमचंद.
6 – ” जिस इंसान को दिन में पेट भर रोटी नहीं मिलती , उसके लिए इज्जत और मान सम्मान सब दिखावा है .”
मुंशी प्रेमचंद.
7 – ” अन्याय होने पर चुप रहना , अन्याय के प्रति भागीदार बनने जैसा है . “
मुंशी प्रेमचंद.
8 – ” देश का उद्धार विलासियों द्वारा नहीं हो सकता . इसके लिए सच्चा त्यागी होना आवश्यक है . ”
मुंशी प्रेमचंद.
9 – ” निराशा बनते हुए काम बिगाड़ देती है .”
मुंशी प्रेमचंद.
10 – ” मन एक कायर शत्रु है जो सदा पीठ के पीछे से वार करता है .”
मुंशी प्रेमचंद.
11 – ” चिंता एक काली दीवार के समान चारों ओर से जकड़ लेती है , जिससे निकलने का कोई रास्ता नही दिखता . “
मुंशी प्रेमचंद.
12 – ” सफलता में दोषों को छिपाने की अद्भुत शक्ति होती है .”
मुंशी प्रेमचंद.
13 – ” धन से इंसान को मिला हुआ सम्मान ,उस इंसान का नही उसके धन का होता है . “
मुंशी प्रेमचंद.
14 – ” सम्मान त्याग से मिलता है , धोखाधड़ी और चतुराई से नहीं . “
मुंशी प्रेमचंद.
15 – ” मैं एक मजदूर हूँ . जिस दिन कुछ न लिखूंं उस दिन मुझे रोटी खाने का कोई हक नही . “
मुंशी प्रेमचंद.
16 – ” इंसान का सबसे बड़ा शत्रु उसका अहंकार है . “
मुंशी प्रेमचंद.
17 – ” स्त्री सब कुछ बर्दास्त कर सकती है , पर अपने मायके की बुराई कभी नहीं .”😆😆